फलों पर क्यों लगाए जाते हैं स्टिकर्स? जानें इसका कारण और महत्व

Smita MahtoSmita MahtoJul 3, 2025
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Key Takeaways

फलों की दुकान पर या सुपरमार्केट में जब आप सेब, नाशपाती, या आम जैसे फल खरीदते हैं, तो अक्सर उन पर छोटे-छोटे स्टिकर्स चिपके नजर आते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि ये स्टिकर्स आखिर क्यों लगाए जाते हैं? क्या ये सिर्फ सजावट के लिए हैं या इनका कोई खास मकसद है? आइए, इस लेख में हम आपको फलों पर लगे इन स्टिकर्स के पीछे की वजह और उनके महत्व के बारे में बताते हैं।

फलों पर स्टिकर्स का क्या है राज?

फलों पर लगे स्टिकर्स सिर्फ दिखावे के लिए नहीं होते। ये छोटे-छोटे स्टिकर्स कई तरह की महत्वपूर्ण जानकारी अपने अंदर समेटे होते हैं, जो उपभोक्ताओं और दुकानदारों दोनों के लिए उपयोगी होती हैं। ये स्टिकर्स फल की पहचान, गुणवत्ता, और उत्पत्ति से जुड़ी जानकारी प्रदान करते हैं।

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स्टिकर्स में छिपी जानकारी

फलों पर लगे स्टिकर्स पर आमतौर पर एक कोड होता है, जिसे PLU कोड (Price Look-Up Code) कहते हैं। यह कोड चार या पांच अंकों का होता है और इसका उपयोग सुपरमार्केट में फल की पहचान और बिलिंग के लिए किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये कोड आपको फल की खेती के तरीके के बारे में भी बताते हैं?

  • चार अंकों वाला PLU कोड: अगर कोड चार अंकों का है, जैसे 4012, तो यह दर्शाता है कि फल पारंपरिक तरीके से उगाया गया है, जिसमें कीटनाशकों का उपयोग हो सकता है।
  • पांच अंकों वाला कोड (9 से शुरू): अगर कोड 9 से शुरू होता है, जैसे 94012, तो यह फल जैविक (ऑर्गेनिक) है, यानी इसे बिना रासायनिक कीटनाशकों के उगाया गया है।
  • पांच अंकों वाला कोड (8 से शुरू): अगर कोड 8 से शुरू होता है, जैसे 84012, तो यह फल जेनेटिकली मॉडिफाइड (GMO) है।

इसके अलावा, स्टिकर्स पर फल के उत्पादक का नाम, ब्रांड, और उत्पत्ति का देश भी लिखा हो सकता है। इससे ग्राहकों को यह जानने में मदद मिलती है कि फल कहां से आया है और उसकी गुणवत्ता कैसी है।

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स्टिकर्स का उपयोग क्यों जरूरी है?

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1. उपभोक्ता जागरूकता

स्टिकर्स ग्राहकों को यह समझने में मदद करते हैं कि वे जो फल खरीद रहे हैं, वह कहां से आया है और उसकी गुणवत्ता क्या है। उदाहरण के लिए, अगर आप जैविक फल खरीदना चाहते हैं, तो स्टिकर पर PLU कोड देखकर आप आसानी से अपनी पसंद का फल चुन सकते हैं।

2. दुकानदारों के लिए सुविधा

सुपरमार्केट में सैकड़ों तरह के फल और सब्जियां होती हैं। स्टिकर्स पर मौजूद PLU कोड कैशियर को बिलिंग में मदद करते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि आपको सही फल के लिए सही कीमत चुकानी पड़े।

3. ट्रैकिंग और सुरक्षा

स्टिकर्स के जरिए फलों की उत्पत्ति को ट्रैक किया जा सकता है। अगर किसी फल में कोई समस्या आती है, जैसे कि दूषित होने की शिकायत, तो स्टिकर पर मौजूद जानकारी के आधार पर उसकी उत्पत्ति का पता लगाया जा सकता है। यह खाद्य सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है।

4. ब्रांडिंग और मार्केटिंग

कई कंपनियां अपने फलों को ब्रांड करने के लिए स्टिकर्स का उपयोग करती हैं। इससे ग्राहकों में उनके प्रोडक्ट की पहचान बनती है। उदाहरण के लिए, कुछ कंपनियां अपने स्टिकर्स पर लोगो या स्लोगन डालती हैं, जो ग्राहकों को आकर्षित करते हैं।

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क्या स्टिकर्स खाने के लिए सुरक्षित हैं?

कई बार लोग सोचते हैं कि क्या फलों पर लगे स्टिकर्स खाने योग्य होते हैं? इसका जवाब है नहीं। ये स्टिकर्स खाने के लिए नहीं बनाए जाते। हालांकि, इन्हें बनाने में खाद्य-सुरक्षित गोंद और स्याही का उपयोग किया जाता है, लेकिन फिर भी इन्हें फल के साथ खाने की सलाह नहीं दी जाती। फल खाने से पहले स्टिकर को हटाना और फल को अच्छे से धोना जरूरी है।

फलों पर लगे स्टिकर्स सिर्फ एक छोटा सा टैग नहीं हैं, बल्कि ये जानकारी का खजाना हैं। ये न केवल फल की पहचान और गुणवत्ता बताते हैं, बल्कि खाद्य सुरक्षा और उपभोक्ता जागरूकता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगली बार जब आप फल खरीदें, तो इन स्टिकर्स पर ध्यान दें और उनके पीछे छिपी जानकारी को समझने की कोशिश करें। क्या आपके पास फलों के स्टिकर्स से जुड़ा कोई रोचक अनुभव है? हमें कमेंट में जरूर बताएं और इस लेख को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें!

Smita Mahto - Writter
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Smita Mahto

मैं एक कंप्यूटर विज्ञान में स्नातक हूँ और अपने ब्लॉग लेखन में आत्मसमर्पित हूँ। पढ़ाई और लेखन में मेरा शौक मेरे जीवन को सजीव बनाए रखता है, और मैं नए चीजों का अन्वेषण करने में रुचि रखती हूँ। नई बातें गहराई से पढ़ने का मेरा शौक मेरे लेखन को विशेष बनाता है। मेरा उद्दीपन तकनीकी जगत में है, और मैं अपने ब्लॉग के माध्यम से नवीनतम तकनीकी गतिविधियों को साझा करती हूँ।


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