अकबर के दरबार में बीरबल अपनी बुद्धि और चतुराई के लिए प्रसिद्ध थे। अकबर का साला उनसे ईर्ष्या करता था और उनकी जगह लेना चाहता था। एक दिन, अकबर ने अपने साले को चुनौती दी कि वह लालची सेठ दमड़ी लाल को एक बोरी कोयला बेचकर दिखाए।
साला असफल रहा, लेकिन बीरबल ने एक चतुर योजना बनाई। उन्होंने एक मलमल का कुर्ता पहना, गले में हीरे-मोती की मालाएं डालीं, और महंगे जूते पहने। फिर उन्होंने कोयले के एक टुकड़े को सुरमे की तरह पीसकर एक कांच की डिब्बी में डाला।
बीरबल ने खुद को एक बगदादी शेख के रूप में पेश किया जो जादुई सुरमा बेचता था। सुरमे की खासियत यह थी कि इसे लगाने वाला अपने पूर्वजों को देख सकता था और उनके द्वारा छुपाए गए धन का पता लगा सकता था।
यह अफवाह पूरे नगर में फैल गई और लालची सेठ दमड़ी लाल भी इससे प्रभावित हुआ। उसने सोचा कि उसके पूर्वजों ने धन छुपाया होगा, इसलिए उसने शेख से सुरमा खरीदने का फैसला किया।
शेख ने उसे बताया कि एक डिब्बी की कीमत दस हजार रुपये है। सेठ ने पहले सुरमा अपनी आंखों में लगाने की मांग की, ताकि वह यह सुनिश्चित कर सके कि यह काम करता है।
बीरबल ने कहा कि ठीक है, लेकिन उसे सुरमे की जांच करने के लिए चौराहे पर जाना होगा। वहां, बीरबल ने घोषणा की कि यदि सेठ सुरमा लगाते हैं और उन्हें अपने पूर्वज दिखाई नहीं देते हैं, तो इसका मतलब होगा कि वह अपने माता-पिता की औलाद नहीं हैं।
शर्मिंदा होने के डर से, सेठ ने झूठ बोलकर कहा कि उसे अपने पूर्वज दिखाई दिए। उसने 10 हजार रुपये दिए और गुस्से में महल से चला गया।
कहानी से सीख:
- किसी से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए।
- अपनी बुद्धि और क्षमताओं पर भरोसा रखना चाहिए।
- लालच बुरी चीज है और यह हमें गलत कामों की ओर ले जा सकता है।