अकबर-बीरबल -बादशाही हार की खोज|akbar-birbal - Badshahi Haar Ki Khoj Short Story in Hindi

AuthorSmita MahtoMay 14, 2024
birbal ka buddhimani bhada ghada

एक समय की बात है, बादशाह अकबर ने अपनी बेगम के जन्मदिन के लिए बहुत ही खूबसूरत और महंगी हार बनवाई थी। जब जन्मदिन आया, तो बादशाह अकबर ने वह हार अपनी बेगम को तोहफे में दे दिया, जो उन्हें बहुत पसंद आया। परन्तु अगली रात, बेगम साहिबा ने हार को गले से उतारकर एक संदूक में रख दिया। बहुत समय बीत गया, लेकिन एक दिन बेगम साहिबा ने हार पहनने के लिए संदूक खोली, पर हार कहीं नहीं मिला। इससे वह बहुत उदास हो गईं और बादशाह अकबर को इस बारे में बताया। बादशाह अकबर ने अपने सैनिकों को हार ढूंढने का आदेश दिया, लेकिन हार कहीं नहीं मिला। इससे अकबर को यकीन हो गया कि बेगम का हार चोरी हो गया है।

फिर अकबर ने बीरबल को महल में बुलाया। जब बीरबल आया, तो अकबर ने सारी घटना बताई और हार को खोजने का काम उसे सौंप दिया। बीरबल ने समय बर्बाद किए बिना ही राजमहल के सभी लोगों को दरबार में आने के लिए संदेश भेजा। कुछ ही देर में दरबार लग गया। दरबार में अकबर और बेगम सहित सभी हज़ीर थे, लेकिन बीरबल दरबार में नहीं था। सभी उसका इंतज़ार कर ही रहे थे कि तभी बीरबल एक गधा लेकर दरबार में पहुंच गए। देर से दरबार में आने के लिए बीरबल अकबर से माफ़ी मांगते हैं। सभी सोचने लगे कि बीरबल गधे को लेकर दरबार में क्यों आए हैं। बीरबल ने बताया कि यह गधा उसका दोस्त है और उसके पास जादुई शक्ति है। यह शाही हार चोरी करने वाले का नाम बता सकता है।

इसके बाद बीरबल जादुई गधे को सबसे नज़दीक वाले कमरे में ले जाकर बांध दिया और कहा कि सभी एक-एक करके कमरे में जाएं और गधे की पूंछ पकड़कर चिल्लाए "जहांपनाह मैंने चोरी नहीं की है।" साथ ही बीरबल ने कहा कि आप सभी की आवाज़ दरबार तक आनी चाहिए। सभी ने कमरे में जाकर गधे की पूंछ पकड़कर चिल्लाने लगे। 

उसके बाद बीरबल ने कहा, "जहांपनाह, यह गधा जादुई नहीं है। यह बाकी गधों की तरह साधारण ही है। मैंने इस गधे की पूंछ पर एक विशेष प्रकार का इत्र लगाया है। सभी सेवकों ने गधे की पूंछ को पकड़ा, लेकिन इस चोर को छोड़ दिया। इसलिए, इसके हाथ से इत्र की खुशबू नहीं आ रही है।"

जब सभी का नंबर आया, तो अंत में बीरबल कमरे मेंजाकर बीरबल ने चोर को पकड़ लिया। उसने चोरी की सभी सामग्रियों के साथ ही बेगम का हार भी बरामद कर लिया। बीरबल की इस चतुराई को सभी ने सराहा और बेगम ने खुशी से बादशाह अकबर को उसे उपहार में दिलवाया।

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि बुरे काम को छुपाने की कोई भी कोशिश नफ़रत्यापन और दुष्कर्म का परिणाम ला सकती है, जबकि ईमानदारी, चतुराई और साहस सचाई को उजागर करते हैं और अंत में सचाई हमेशा जीतती है।