एक बार की बात है, किसी गाँव के मंदिर में देव शर्मा नाम का एक प्रतिष्ठित साधु रहता था। गांव में सभी लोग उनका सम्मान करते थे। उसे अपने भक्तों से दान में तरह-तरह के वस्त्र, उपहार, खाद्य सामग्री और पैसे मिलते थे। उन वस्त्रों को बेचकर साधु ने काफी धन जमा कर लिया था।
साधु एक ऐसा आदमी था जो किसी पर विश्वास नहीं करता था और हमेशा अपने धन की सुरक्षा के लिए चिंतित रहता था। वह अपने धन को एक पोटली में रखता था और उसे हमेशा अपने साथ लेकर ही चलता था।
उसी गाँव में एक ठग भी रहता था। बहुत दिनों से उसकी नजर साधु के धन पर थी। ठग हमेशा साधु का पीछा किया करता था, लेकिन साधु उस गठरी को कभी अपने से अलग नहीं होने देता।
आखिरकार, ठग ने एक छात्र का वेश धारण किया और साधु के पास गया। उसने साधु से मिन्नत की कि वह उसे अपना शिष्य बना ले क्योंकि उसे ज्ञान प्राप्त करना था। साधु तैयार हो गए और इस तरह से ठग साधु के साथ रहने लगा।
ठग मंदिर की साफ-सफाई से लेकर अन्य सभी कार्य भी करता था और जल्दी ही उसका विश्वासपात्र बन गया।
एक दिन साधु को पास के गांव में एक अनुष्ठान के लिए निमंत्रण मिला। साधु ने उसे स्वीकार किया और निश्चित दिन पर साधु अपने शिष्य के साथ अनुष्ठान में भाग लेने के लिए निकल पड़ा।
रास्ते में एक नदी पड़ी और साधु ने स्नान करने की इच्छा व्यक्त की। उसने अपनी गठरी को एक कम्बल के भीतर रखा और उसे नदी के किनारे रख दिया। उसने ठग से सामान की रखवाली करने को कहा और अपने स्नान के लिए नदी में गया। ठग को तो कब से इसी पल का इंतजार था। जैसे ही साधु नदी में डुबकी लगाने गया, ठग रुपयों की गठरी लेकर चंपत हो गया।
जब साधु वापस आया और देखा कि गठरी खाली हो गई है, उसने ठग से सच्चाई पूछी और ठग ने स्वीकार किया कि उसने गठरी में पैसे चुराए हैं। यह घटना सारे गांव में फैल गई और लोगों ने ठग को सजा देने का निर्णय लिया।
कहानी से सीख:
विश्वास की महत्वपूर्णता वाली एक शिक्षा है जिसे हमेशा याद रखना चाहिए। हमें किसी पर बिना सोचे-समझे विश्वास नहीं करना चाहिए और किसी के वचन पर भरोसा करना चाहिए। विश्वास की कमी हमारी जिंदगी में संघर्ष पैदा कर सकती है, जबकि विश्वास एक दूसरे को सहारा देने वाला गुण है।