अकबर-बीरबल: खाने के बाद लेटना | Khane Ke Baad Letna Short Stories in Hindi

भोजन के बाद विश्राम करने के संदर्भ में, अकबर-बीरबल की इस कहानी में हम सीखेंगे कि कैसे बीरबल ने एक पजामे के जरिए अपने तर्क को गलत होने से कुशलतापूर्वक बचा लिया। - Hindi Kahaniya
Smita MahtoMar 23, 2024
Khane ke baad letana - Akabar birbal ki hindi kahaniya

एक दिन दोपहर के समय, राजा अकबर अपने महल में विचारमग्न थे जब उन्हें बीरबल द्वारा कही गई एक बात याद आई। उन्हें स्मरण हुआ कि बीरबल ने एक बार एक प्रसिद्ध कहावत साझा की थी - "खाने के बाद आराम करना और झगड़े के बाद निकल जाना, एक समझदार व्यक्ति की पहचान होती है।"

राजा ने सोचा, "दोपहर का समय है, निश्चित ही बीरबल खाने के बाद विश्राम कर रहे होंगे। आज हमें उनकी इस बात को गलत सिद्ध करना चाहिए।" इस विचार के साथ, उन्होंने एक सेवक को बीरबल को तुरंत दरबार में बुलाने के लिए भेजा।

बीरबल अभी अपना भोजन समाप्त कर रहे थे जब सेवक राजा का संदेश लेकर आया। बीरबल समझ गए कि राजा क्या चाहते हैं। उन्होंने सेवक से कहा कि वह कुछ देर प्रतीक्षा करे जब तक वे कपड़े बदल लेते हैं।

बीरबल ने एक तंग पजामा चुना और उसे पहनने के लिए बिस्तर पर लेट गए। इस बहाने वे कुछ समय के लिए विश्राम कर सके और फिर दरबार की ओर चल पड़े।

राजा ने बीरबल के आते ही उनसे पूछा कि क्या उन्होंने खाने के बाद आराम किया था। बीरबल ने ईमानदारी से जवाब दिया कि उन्होंने विश्राम किया था। राजा नाराज हो गए और बीरबल को सजा देने की बात कही।

लेकिन बीरबल ने तुरंत स्थिति स्पष्ट की और कहा कि उन्होंने राजा के आदेश का अनादर नहीं किया है। उन्होंने समझाया कि तंग पजामे को पहनने के लिए उन्हें लेटना पड़ा था।

राजा अकबर ने बीरबल की चतुराई पर हंसते हुए उन्हें जाने दिया।

कहानी से सीख:

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि समझदारी और चतुराई से किसी भी परिस्थिति का सामना किया जा सकता है और संकटों से निपटा जा सकता है।