अकबर-बीरबल: जोरू का गुलाम |  joru Ka Gulam Short Stories in Hindi

चलिए, हम अकबर-बीरबल की 'जोरू का गुलाम' कहानी के माध्यम से यह देखें कि बीरबल ने किस प्रकार अपने तर्क और चालाकी से राजा के सामने अपने विचार को प्रमाणित किया। - Hindi Kahaniya
Smita MahtoMar 23, 2024
Joru ka gulam - akabar birbal ki hindi kahaniya

एक दिन, राजा अकबर और बीरबल दरबार में मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हुए बैठे थे। इसी दौरान, बीरबल ने राजा से कहा कि उनका मानना है कि अधिकतर पुरुष अपनी पत्नियों के प्रति अधीन होते हैं और उनसे भय खाते हैं। यह सुनकर राजा अकबर सहमत नहीं हुए और इस विचार का खंडन किया।

बीरबल, अपने दावे पर दृढ़ रहे और उन्होंने राजा से कहा कि वे अपनी बात को साबित कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए राजा को एक विशेष आदेश प्रसारित करने की जरूरत होगी। आदेश यह था कि अगर किसी पुरुष को अपनी पत्नी से भयभीत पाया जाता है, तो उसे दरबार में एक मुर्गी जमा करनी होगी। राजा अकबर इस शर्त पर सहमत हो गए।

फौरन ही, यह आदेश जनता में फैल गया और नतीजतन, बीरबल के पास मुर्गियों का एक विशाल समूह जमा हो गया, जिससे महल के बाग में मुर्गियां भरमार से घूमने लगीं।

बीरबल ने राजा के पास जाकर यह सुझाव दिया कि महल में मुर्गियों की इतनी बड़ी संख्या हो गई है कि एक मुर्गीखाना खोला जा सकता है, और इसी के साथ उन्होंने राजा को इस आदेश को वापस लेने की सलाह दी। राजा ने हालांकि इसे गंभीरता से नहीं लिया, और मुर्गियों की संख्या और भी बढ़ती गई।

जब राजा अकबर अभी भी बीरबल के दृष्टिकोण से सहमत नहीं हुए, तो बीरबल ने एक नई रणनीति अपनाई। उन्होंने राजा को एक खूबसूरत राजकुमारी के प्रस्ताव का जिक्र किया, जिस पर राजा ने चिंता जाहिर की कि अगर उनकी पत्नियों को इसकी खबर लग गई, तो वे नाराज हो जाएंगी।

इस पर बीरबल ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और राजा से कहा कि उन्हें भी दो मुर्गियां जमा करनी चाहिए। इस जवाब से राजा शरमा गए और तत्काल अपना आदेश वापस ले लिया।

कहानी से सीख:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि विवेकपूर्ण और चतुराई से बातें कहने से हम किसी भी स्थिति में अपनी बात को मनवा सकते हैं, जैसे बीरबल ने किया।