एक समय की बात है, जब शहंशाह अकबर अपने प्रिय मंत्री बीरबल के साथ शिकार पर गए हुए थे। शिकार के बाद, जब वे वापस लौट रहे थे, तो रास्ते में उनकी नजर एक गांव पर पड़ी। बादशाह को उस गांव के बारे में जिज्ञासा हुई और उन्होंने बीरबल से पूछा कि क्या वह उस गांव के बारे में कुछ जानते हैं। बीरबल ने जवाब दिया कि उन्हें भी उस गांव के बारे में कुछ नहीं पता है।
फिर बीरबल ने वहां के एक निवासी को बुलाया और उससे गांव के हालात के बारे में पूछताछ की। उस व्यक्ति ने बादशाह को पहचानते ही जवाब दिया कि उनके शासन में सब कुछ अ च्छा ही हो सकता है और यहां सब कुछ ठीक है।
अकबर ने उस व्यक्ति से उसका नाम पूछा और उसने उत्तर दिया कि उसका नाम गंगा है। जब बादशाह ने उसके पिता का नाम पूछा, तो उसने जवाब दिया कि उसके पिता का नाम जमुना है। अकबर ने सोचा कि शायद उसकी मां का नाम सरस्वती होगा, परंतु उस व्यक्ति ने कहा कि उसकी मां का नाम नर्मदा है।
इस पर बीरबल ने हंसते हुए कहा, “बादशाह, लगता है हमें यहां से जल्दी चले जाना चाहिए। इस जगह पर तो सारी नदियाँ मौजूद हैं, और हमारे पास तो नाव भी नहीं है! आगे बढ़े बिना नाव के तो डूबने का खतरा है, और अगर यहीं रुके तो सब कुछ बह जाएगा।”
इस मजाक को सुनकर अकबर सहित सभी वहां मौजूद लोग हंस पड़े। यह सुनकर वह व्यक्ति भी मुस्कुराते हुए चला गया।
कहानी से सीख: जीवन में हर समय गंभीर रहने की आवश्यकता नहीं होती। कभी-कभी हंसी-मजाक से भी बोझिल माहौल हल्का हो जाता है।